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काँग्रेस में फिर छाया राजनीतिक संकट,कर्नाटक,मध्यप्रदेश के बाद क्या अब राजस्थान भी हाथ से जाने वाला है....
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कांग्रेस पार्टी लंबे समय से राजनीतिक संकट का सामना कर रही है।ये राजनीतिक संकट कांग्रेस की अंदरूनी कलह के कारण है।कांग्रेस पार्टी की शुरुआत 1885 में ए ओ हियुम ने की थी।तब से लेकर आज तक अपने लगभग एक सौ चालीस साल के जीवन में कांग्रेस ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं।
आरम्भ में कांग्रेस ही एक अकेली पार्टी हुआ करती थी।
आज कई नेता ऐसे हैं जो किसी समय मे कांग्रेस में हुआ करते थे,आज अपनी पार्टियां लिए बैठे हैं।जिसमे शामिल हैं ममता बेनर्जी,वाई इस जगनमोहन रेड्डी।
पश्चिम बंगाल में ममता की टीएमसी और आंध्र प्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की वाई एस आर कांग्रेस पार्टी प्रख्यात हैं।
सपा, बीएसपी और जनसंघ जैसी पार्टियां हमेशा से ही कांग्रेस से अलग रही हैं।अलग रहने का कारण है इन पार्टियों की विचार धारा।
वर्तमान में भी कांग्रेस के जाने माने नेता कांग्रेस पार्टी छोड़ चले हैं।जिसमे पहला नाम है मध्य प्रदेश कांग्रेस के जाने आने नेता रह चुके ज्योतिरादित्य सिंधिया का।ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए हैं।
मध्यप्रदेश से शुरू हुए इस राजनीतिक संकट ने राजस्थान में भी कांग्रेस का पीछा नहीं छोड़ा। एमपी में कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच जिस बात को लेकर तनातनी थी वैसा ही राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच था।
दोनों राज्यो में विधान सभा चुनाव के बाद सीएम पद के लिए दो दो उम्मीदवार थे।एमपी में कमल नाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया।
राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट।
लेकिन कांग्रेस ने दोनों ही राज्यो में ओल्ड इज़ गोल्ड वाला फॉर्मूला अपनाया और काबिलियत के स्थान पर अनुभव को प्राथमिकता दी।
अब हुआ ये की एमपी के सीएम बने कमल नाथ और राजस्थान सरकार की बागडोर संभाली कांग्रेस के अनुभवी नेता अशोक गहलोत ने। इसके बाद एमपी में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों और राजस्थान में सचिन पायलट के समर्थकों में खासा रोष देखने को मिला था।
लेकिन एक लंबी चौड़ी बात चीत और सलाह मशविरा के बाद सचिन पायलट ने राजस्थान का डिप्टी सीएम बनना मंज़ूर किया।राजस्थान में नवम्बर 2018 में विधानसभा चुनाव हुए थे जिसमें कांग्रेस 99 सीटों पर जीत के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनी थी।
गौरतलब है कि राजस्थान में अभी काँग्रेस अपना दो साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई है और ऐसे में डिप्टी सीएम का सरकार के खिलाफ बगावत पर उतर जाना राजस्थान सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन सकता है।
इस मुसीबत की शुरुआत 11 जुलाई को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की प्रेस कॉन्फ्रेंस से हुई जिसमें उन्होंने बीजेपी पर सरकार गिराने का आरोप लगाया।इसके बाद उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट का अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली जाना और भी संकट कारी हो गया।
रविवार 12 जुलाई को जब यह साफ हुआ कि सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ दिल्ली में हैं (वैसे इसकी आशंका तो शनिवार को ही हो गयी थी कि विधायको को दिल्ली में ठहराया गया है)तो राजस्थान में चर्चा होने लगी।आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया।इसी के साथ सचिन और गहलोत के बीच अनबन शुरू हो गयी।
अटकलें ये थी कि सचिन की दिल्ली में पार्टी के किसी शीर्ष नेता से मुलाकात होगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।इसके बाद कहा गया कि सचिन और राहुल की फ़ोन पर बात हई है।लेकिन कुछ ही देर में सचिन ने इस बात को साफ किया कि न तो उनकी मुलाकात किसी नेता से हुई है और न ही राहुल से फ़ोन पर बात हुई है।
पायलट की राहुल से तो कोई मुलाकात नहीं हुई लेकिन आपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया से वह मिले।इन दोनों की मुलाकात लगभग 40 मिनट तक चली।इस मुलाकात से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट भी किया था जिसमे उन्होंने लिखा "सचिन को दरकिनार करने से मैं दुखी हूं ,कांग्रेस में योग्यता और काबिलियत के लिए कोई स्थान नहीं है।"
सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया की दोस्ती जगजाहिर है।दोनों ही कांग्रेस के जाने माने और काबिल नेता हैं।लेकिन चार हफ़्तों पहले ही ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस पार्टी छोड़ बीजेपी में शामिल हुए हैं और दूसरी तरफ सचिन भी राजस्थान कांग्रेस से नाखुश चल रहे हैं।ऐसे में दोनों का ऐसे समय पर मिलना कई सवाल खड़े करता है।जिसमे सबसे पहला सवाल है कि क्या सचिन पायलट भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल होने वाले हैं??
इतना सब होने के बाद कांग्रेस आलाकमान ने हालात देखते हुए पार्टी के महासचिव और राजस्थान कांग्रेस के इंचार्ज अविनाश पांडे को तुरंत जयपुर भेजा।साथ ही कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला और अजय माकन को भी जयपुर भेजा गया और विधायकों को समझाने को कहा गया।
मामले पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने कहा की वह राजस्थान सरकार के लिए चिंतित है।उन्होंने ट्वीट कर कहा"पार्टी के लिए चिंतित हूं" क्या हम तब जागेंगे जब सब कुछ हमारे हाथों से निकल चुका होगा?
कांग्रेस ने इस मामले को लेकर बीजेपी पर सीधा निशाना साधा। कहा कि बीजेपी सरकार गिराने की कोशिश कर रही है।राज्य कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने कहा "ऐसे में जब हम कोविड-19 से लड़ रहे है,भाजपा सत्ता के लिए लड़ रही है" राजस्थान सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी।
वहीं भाजपा ने भी इस पर सीधा जवाब दिया कहा कि ये कांग्रेस की अंदरूनी कलह का परिणाम है। भाजपा पर लगायें गए आरोप सिद्ध करें या राजनीति छोड़ दे।।
बता दें कि राजस्थान में अगर आज गहलोत की सरकार है तो इसका काफी हद तक श्रेय सचिन पायलट को भी जाता है।विधानसभा चुनाव में सचिन ने कांग्रेस के लिए कमर तोड़ मेहनत की थी
वहीं मध्यप्रदेश में अगर कांग्रेस सरकार बनने में सफल हुई तो इसके पीछे ज्योतिरादित्य सिंधिया ही थे।हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया को इसका खाश कोई फायदा नहीं हुआ।पार्टी ने मध्यप्रदेश की कमान वरिष्ठ नेता कमलनाथ को ही सोपी।
हालांकि कांग्रेस को इसका खामियाजा भुगतना पड़ा।ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने कुछ विधायकों के साथ कंग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल हो गए।हुआ ये की मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार गिर गयी।ऐसे में शिवराज सिंह की सत्ता में वापसी हुई।बीजेपी की सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थन के साथ बनी साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया को मनचाहा पद भी दिया गया।
अब कुछ ऐसी ही कवायदे सचिन पायलट के लिए भी है कि वो भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में शामिल तो नहीं होने वाले।लेकिन सचिन की तरफ से इस कवायद को सिरे से खारिज किया गया है।
सरकार के साथ तना तनी और अनबन के बाद सचिन पायलट को डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया गया है।
सचिन के साथ दिल्ली गए विधायको को भी अयोग्य घोषित कर दिया गया।जिसे लेकर सचिन पायलट ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
इस याचिका की सुनवाई में हाईकोर्ट ने विधायको को अयोग्य घोषित करने का फैसला गलत बताया।वहीं इस मामले की आगे की कार्यवाही सुप्रीम कोर्ट द्वारा की जाएगी।
अब सचिन पायलट किसी और पार्टी में शामिल होते हैं या नहीं।राजस्थान में बीजेपी की गवर्मेंट फिलहाल बनेगी या नहीं,यह तो अभी तक साफ नहीं है।लेकिन कांग्रेस एक के बाद एक अपने जीते हुए राज्य खो रही है।पहले कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस की गठबंधन वाली सरकार सिर्फ 14 महीने के कार्यकाल के बाद गिर गयी।
इसके बाद मध्यप्रदेश में कांग्रेस की अंदरूनी कलह का परिणाम देखने को मिला।कांग्रेस की सरकार गिर गयी और दोनों ही राज्यों में बीजेपी ने कमान संभाली....
अब राजस्थान में भी यही होने वाला है...??
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