पुरानी दराज (purani daraj)

 

Image credit : istock



घर की पुरानी दराजो से सिर्फ पुराना सामान नहीं निकलता। निकलते हैं कुछ पल जो तस्वीरों में कैद होते हैं। कुछ अल्फ़ाज़, जिन्हें कभी कोरे पन्नो पर उकेरा गया था। कुछ एहसास जो किसी मफलर में सिमटे हुए दराज के किसी कोने में रखे हैं। कुछ याद जो धुंधली हो चली है, लेकिन उन्हें याद रखना ज़रूरी है। एक छोटे से बक्से में वो बचपन वाला जोमैट्री बॉक्स भी होगा, जिसका दिखावा अक्सर दोस्तों के सामने हुआ करता था। पापा लाए हैं, "मेरे लिए" ये कहकर वो तृप्ति सी मिल जाया करती थी जो दुनिया की किसी दूसरी खुशी में न मिलने वाली थी।


वो स्कूल की यूनिफॉर्म जिसे रोज़ सुबह माँ आगे पीछे लेकर भागा करती थी। स्कूल जाने के लिए ज़बरदस्ती तैयार किया करती थी। वैसे, ऐसा नहीं था कि मुझे स्कूल जाना पसंद नहीं था, बस माँ को थोड़ा तंग करने में मज़ा आता था। और इस दराज में वो इन्हेलर वाला पंप भी मौजूद हैं। मां इसे अपने साथ ही रखा करती थी और जब मेरे पीछे भागते हुए उनकी सांस चढ़ जाती थी। तब वो मेरे पीछे भागना छोड़ अपने पल्लू से इसे खोल कर इसे निकाला करती थी। और आधी भरी आंखों से मुझे देखा करती और इसे पंप करती। इसे देख कर याद आता है कि मैं, मां को कितना तंग किया करता था।


वैसे, उसी दराज में कहीं वो जवानी में घटी दुर्घटना भी होती है जो मेरे साथ घटते घटते भी आख़िर नहीं घटी। ये वहीं दुर्घटना है जिसे अक्सर हर कोई अपनी ज़िंदगी मे एक बार तो घटित होते हुए देखना ही चाहता है। मैंने भी सोचा था, और कई लव लेटर भी लिखे जो इसी दराज के किसी कोने में एक लाल फीते में बंधे रखे हैं। लाल फीते में इसलिए क्योंकि love is a red alert. दिल पर ना लिजियेगा अपने एक्सपीरियंस से कह रहा हूँ। इनके साथ एक पूरा सूखा हुआ गुलाब भी है, जो उसे देते हुए कहना था कि A Rose for a Rose. 


खैर...... घर की पुरानी दराजो से सिर्फ पुराना सामान नहीं निकलता, निकलती है वो पूरी ज़िंदगी जिसे संजो कर रखा गया है..।

Comments