- Get link
- Other Apps
- Get link
- Other Apps
image credit : google |
मैं वहीं हूँ, जहाँ कभी हम हुआ करते थे
बस थोड़ा बेजान और निढाल सा हूँ।
इस मैदान की लहराती हरियाली को देख कर तुम्हारा वही खिलखिलाकर हँसना याद आता है।
तुम्हें याद है...इस मैदान का वो सबसे लकी पेड़ जिस पर हर मोहोब्बत करने वाला जोड़ा अपना नाम इस पर कुरेदकर जाता था।
याद है,हम हमेशा इसी पेड़ के नीचे बैठा करते थे।अपना हाल एक दूजे से कहते,सुनते थे।
बस वहीं....वहीं हूँ मैं..।
मेरा दिल भी मेरे साथ है।वही दिल जो रूठने पर तुम्हे मनाने के नए नए तरीके खोजा करता था, तेरी आंखों से एक आँसू भी बहता तो ये दिल बैठ सा जाता।
मेरे साथ है पर "तेरे बिन अब धड़कता नहीं"
तेरे इंताजर में ये आंखे आज भी हैं।रोज़ तेरी यूं ही राह तकती हैं,ये ही सोचती हैं कि अचानक तुम कहीं से आ जाओगी और मुझे धप्पा करोगी।फ़िर मेरे चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर मेरी आँखों को एक एक कर के चुमोगी।
तुम्हारा चूमना इन्हें याद है।बस "तेरे बिन ये आंखे किसी बन्द घड़ी की सुइयों जैसी अटक सी गयीं हैं।"
मेरी आवाज की तो तुम कायल हुआ करती थी।बार बार खुद का नाम लेने को कहती,और जब मैं न में सर हिला देता तो "अच्छा तो ठीक है कोई रोमांटिक गाना ही सुना दो"कह कर मुहँ बना लिया करती थी।सच कहूं ऐसा लगता था जैसे मेरा खुदा खुद मुझसे कोई फरमाइश कर रहा हो।
तेरी फ़रमाइश नहीं है अब, तो इस आवाज़ ने भी चहचहाना बन्द सा कर दिया है।जो तेरा नाम न ले सके वो लब "तेरे बिन अब थम से गए हैं।"
मगर........।
शिकायत नहीं तुझसे पर मलाल है ख़ुद से।जाते जाते तेरी कोई फरमाइश पूरी न कर सका।मालूम है मुझे कि मैं तेरी आदत हुआ करता था लेकिन जाना तुम भी मेरी जान थी।
न हम साथ जी सके,न साथ मर सके।ये रूह भी अब इस जिश्म से कूच कर चली है।
शायद हम फ़िर मिले नीले आकाश के परे उस फ़लक पर..और करे बायां फिर से अपनी मोहब्बत एक दूजे से।
"यक़ीनन तेरे बिन मैं कुछ भी नहीं।"
मैं वहीं हूँ, जहाँ हम हुआ करते थे
बस,थोड़ा बेजान और निढाल सा हूँ।
Comments
Post a Comment