इश्क वाली शायरी ( Love shayari)

 

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वो हर लफ्ज़ को आहिस्ता आहिस्ता बोलेगा

जब साकी संग इसके नशे में डोलेगा

तब मधुशाला का प्याला सर चढ़ कर बोलेगा

तब मधुशाला का प्याला सर चढ़ कर बोलेगा। (1)


जिसने आकां मुझे हमेशा कम

उसकी आंखें है आज नम

वो देखता ही रह गया 

ये क्या हुआ ये क्या हुआ। (2)


इनकी गहराइयाँ हैं ऐसी की हर दिशा में खेलती हैं

हर पैमाने को परखती,हर सबद को तोलती हैं।

ये आंखे ये आंखे बहुत बोलती हैं,बहुत बोलती हैं। (3)


दो पंक्ति की अपनी ये इश्क की कहानी है

वो तेज़ हवा के झोंके सा

मैं झर झर बहता पानी हूँ। (4)


हर उस शक्श से लड़ लेते हैं हम

जिसे हम खोना नहीं चाहते। (5)


आख़िरी बार लड़ाई हुई थी।

कुछ मैंने कहा,कुछ उसने कहा

फिर उसने बहुत कुछ कहा!

पर मैंने कुछ ना कहा।। (6)


एक अरसा बीता है उसकी यादों में!

अभी ता-उम्र गुज़ारना बाकी है!! (7)


ये मान ही लो कि अब हम एक ना सकेंगे!

आख़िर थोड़ी सी तस्सली चाहिए इन रूमालों को भी...।। (8)


मैं लिख तो दूंगी हमारी बातें सारी।

तुम रोओगे नहीं, पहले ये वादा करो।।  (9)


नादान बहुत है वो

मुझे खुद से छीन कर कहता है,वो नहीं मिलेगा मुझे.! (10)


दरिया बनकर किसी को डुबोने से बेहतर है!

ज़रिया बनकर किसी को बचाया जाए!! (11)


मैं मयार नहीं मिलता मैं आवारा नहीं फिरता..!

मुझे सोचकर खोना मैं दोबारा नहीं मिलता..!! (12)


दिल बैठे बैठे भर आया..।

क्या कहिए हमें क्या याद आया..। (13)

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